Description
भारत मे फिल्मों को सिर्फ मनोरंजन का साधन माना जाता है उसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया | फिल्म भी अध्ययन के लिए एक गंभीर विषय हो सकता है ये फिल्म बनने के सौ साल के इतिहास मे कम ही सोचा गया | पर जब विदेशी भाषा मे काम होने लगा तो भारत की जनता भी जागी और भारतीय फिल्मों खासकर कुछ गिने चुने लोगों पर अध्ययन शुरु हुआ | आज कई विश्वविद्यालयों मे इसकी पढ़ाई शुरु हो चुकी है और कई जगह फिल्मों पर अच्छे साहित्य भी आ गए है |