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प्रो गोविंद जी पाण्डेय : तुलसीदास कृत रामचरित मानस मे गुरु की कल्पना और सत्संगति के प्रभाव का विश्लेषण

2.00

प्रस्तुत लेख प्रो गोविंद जी पाण्डेय, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय , लखनऊ  के पत्रकारिता एवं जनसंचार के विभागाध्यक्ष द्वारा लिखा गया है।

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Description

सारांश :

संकेत  शब्द –  रामचरित मानस , गुरु ,  सत्संग , कल्पना , गोस्वामी तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी लेखनी से जनता में सनातन परंपरा को न सिर्फ पुनर्जीवित किया बल्कि समाज मे एक नया जोश भी भर दिया | इस कवि ने जनता को उसके सामर्थ्य से उसी प्रकार परिचित कराया जिस प्रकार जामवंत ने हनुमान को उनकी  शक्ति का एहसास दिलाया | राम नाम का स्मरण जनता को मुगल शासन से लड़ने की नयी शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करता है| | चित्रकूट जिले के राजापुर गावं मे आत्माराम दुबे के यहाँ जन्मे इस बालक की माता का नाम हुलसी था | संवत 1554 की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन पैदा हुए इस बालक का जन्म भी अद्भुत था | अन्य बच्चे की तरह ये नौ महीने मे न पैदा होकर बारह महीने मे पैदा हुए थे | जन्म के समय बालक के सभी 32 दांत होने और उनके द्वारा पैदा होते ही राम बोलने के कारण उनका नाम रामबोला रखा गया | पर माता ने उनको अपनी दासी  को पालने के लिए दे दिया | पाँच वर्ष की आयु मे वो चुनिया दासी  के मरने के बाद फिर से अनाथ हो गए किन्तु संत नरहर्यानन्द जी ने उनका पालन पोषण अयोध्या मे किया |

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